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Yuan Chwang on Nalanda, Ref Men and Thought in Ancient India, Radha Kumud Mukherjee.
https://twitter.com/Profdilipmandal/status/1804047482185269295
Dilip Mandal
नालंदा को जलाने का आरोप ब्राह्मणों पर लगाना इतिहास को सिर के बल खड़ा करने वाली बात है. अल्पसंख्यकवाद के चक्कर में सवर्ण वामपंथी इतिहासकार ये करते हैं. भारत में इतिहास लेखन पर उनका ही कब्जा है. बीजेपी के दस साल में इतिहास मिथ्या लेखन में कुछ भी नहीं बदला है.
आपने दो तिब्बती सोर्स के आधार पर जो निष्कर्ष निकाला है वह संदिग्ध है. विस्तार से चर्चा फिर कभी. फिलहाल मेरे दो बिंदु है.
1. नालंदा पर जब बख्तियार खिलजी ने आक्रमण किया तब तक वहां पाल राजवंश/सेन वंश का शासन था. नालंदा और आसपास के इलाके पर कभी ब्राह्मणों का राज नहीं रहा. इससे पहले के चार सौ साल में यहां अधिकतर समय बौद्ध राजा रहे. पाल राजवंश भी बौद्धों का है. नालंदा को जलाने का आरोप आप ब्राह्मणों पर कैसे लगा रही हैं? बिना राजा की इच्छा के, राजा के धर्म के एक स्थल का विनाश करने का साहस किसे हो सकता है.
2. मूर्तियों को तोड़ना या स्ट्रक्चर को नष्ट करना या ग्रंथों को जलाना ब्राह्मण विधि नहीं है. ये विधि आप जानती हैं कि किनकी है. वामपंथी फैज अहमद फैज भी अपनी नज्म हम देखेंगे में काबा से बुत ही उठवा रहे थे और सिर्फ एक अल्लाह का नाम ही ऊपर रखकर सबको नकार रहे थे.
एक वही है और कोई नहीं है, यह ब्राह्मण दर्शन नहीं है. बुद्ध की मूर्ति तोड़ने की सबसे ताजा घटना भी अफगानिस्तान की है. लिखित इतिहास में इसका कोई प्रमाण नहीं है कि ब्राह्मणों ने बुद्ध की मूर्ति तोड़ी या मठ जलाए.
3. ब्राह्मण विधि किसी विचार से जब लड़ती है तो उसको अपने अंदर पचा लेती है. ये साफ सुथरा और अपेक्षाकृत अहिंसक पर बहुत असरदार तरीका है. तथागत बुद्ध को विष्णु का अवतार बना लेना, बुद्ध की मूर्तियों को लाल कपड़े से ढककर पूजा करना, बौद्ध दर्शन को उपनिषद में शामिल कर लेना, ये है ब्राह्मण विधि.
ब्राह्मण विचार ने अपने अंदर नास्तिकता को भी जगह दे दी है! जैन भी हिंदुओं की व्यापक परिभाषा में समा गए हैं. ब्राह्मण न तोड़ते हैं, न जलाते हैं.
4. नालंदा के विध्वंस पर बाबा साहब को पढ़ा जाना चाहिए. कृपया उनकी रचनावली का वॉल्यूम तीन देखें. उन्होंने इस विनाश के लिए स्पष्ट तौर पर मुस्लिम हमलावरों को जवाबदेह बताया है.
ब्राह्मणों का अगर कभी नालंदा पर क़ब्ज़ा हुआ होता तो वे अंदर एक पत्थर पर सिंदूर और हल्दी लगाकर उसकी पूजा शुरू कर देते। या बुद्ध को विष्णु का अवतार बताकर उनकी मूर्ति की पूजा करने लगते। दक्षिणा वग़ैरह आने लगती।
ब्राह्मण विधि आत्मसात करने की है। यह हिंदू या भारतीय विधि भी है। अपने अंदर समाहित कर लो। पचा लो अंदर। एडजस्ट कर लो। बुद्ध कई लोगों के लिए अब विष्णु के अवतार बन गए हैं। हालाँकि हैं नहीं, पर मानने पर भला कौन सी रोक है।
इसलिए संविधान के 25वें अनुच्छेद में हिंदू की परिभाषा बौद्ध, जैन और सिख समाहित हैं। ये समावेशी भारतीय तरीक़ा है।
ब्राह्मण बुद्ध की मूर्ति को लाल कपड़ा और सोने के नक़ली गहने पहनाकर उसकी पूजा करेगा। कई जगह ये चल रहा है। बताऊँगा नहीं, नहीं तो विवाद हो जाएगा।
वह मूर्ति या मठ को तोड़ेगा क़तई नहीं। तोड़ने में नुक़सान है। नई मूर्ति लानी पड़ेगी। मठ बनाना पड़ेगा।
तोड़ दो, जला दो, एक ही देवता और और कोई नहीं है, ये सब भारतीय तरीक़ा नहीं है। तालीबान ने बामियान बुद्ध को कैसे बारूद से उड़ाया, ये हमने 2001 में देखा। हमारे यहाँ ये नहीं होता है।